जिंदगी में जो लिखा है वही होगा लेकिन !

मगर जरा एक बार फिर सोचिए। थोड़ा इसी वाक्य को थोड़ा और किसी दूसरे पहलू से देखिए। जिंदगी में जी लिखा है वही होता है और उसको लिखने वाला इंसान नहीं परम पिता परमेश्वर होता है।  

अक्सर ये वाक्य हम तब बोल देते हैं जब हम अपने हालातों से खुदको मजबूर पाते हैं। जब हमें ये लगता है कि अब हमारे पास कोई चारा नहीं बचा और कुछ भी समझ में नहीं आता। तब हम खुद को हालात के हवाले कर देते हैं। और ये अक्सर नकारात्मक सोच को स्वीकार करने के लिए या खुद की तकदीर में मायूसी को दर्शाने के लिए कहते हैं। 

बहुत ही मशहूर कवि और लेखक और इस सदी के नायक श्री अमिताभ बच्चन के बाबूजी , श्री हरिवंश राय बच्चन ने एक बहुत ही दिलचस्प बात कही थी इसी संदर्भ में। उन्होंने कहा कि :

अगर खुद के मन का हो तो अच्छा लेकिन अगर खुद के मन का ना हो तो और अच्छा क्यूंकि जिसमें खुद की मर्जी नहीं चलती उसमे ईश्वर की मर्जी होती है।

और ईश्वर ही हमारा इस जीवन का सहारा है। ईश्वर ही वो खेवैया है जो हमारे जीवन की नाव को आगे बढ़ा रहा है। 

हरिवंश राय बच्चन

ऐसे में खुद से ज्यादा आप उस परम पिता परमेश्वर पर अपना विश्वास रखें। आप देखेंगे कि आप अपने आप को आत्मविश्वास से भरपूर पाएंगे और आगे बढ़ने में कभी नहीं हिचकिचाएंगे।   क्योंकि हम अपनी सोच में सीमित होते हैं और जब हम अपनी सोच के अनुसार हालातों को मुड़ता नहीं पाते, परेशान हो उठते है। 

मगर आप ये मत भूलिए कि आप इस दुनिया में लाने वाला आप खुद नहीं आपका परम पिता परमेश्वर है। आप उसीकी छत्र छाया में रहते हैं, सांस ली हैं। इसलिए अपने परम पिता परमेश्वर के ऊपर संपूर्ण विश्वास रखें। आप जहां भी रहेंगे वो आपको सुरक्षित और सुखी रखेगा। 

आप उस ईश्वर , अपने परम पिता परमेश्वर पर पूरा भरोसा रखें। और जब लीक भी समझ में ना आए तो अपने परम पिता को याद करें, थोड़ा सा मुस्कराया करें और आगे बढ़ जाएं बिना किसी हिचकिचाहट के। आपके लिए कुछ बहुत अच्छ होने को है।

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